नई दिल्ली : सीड्स ने जमीनी स्तर के 11 इनोवेटर्स ने जलवायु परिवर्तन संबंधी कारगर समाधान प्रदर्शित किए
नई दिल्ली: मानवीय इनोवेशन एवं इंटरवेंशन टैक्नोलॉजी वर्तमान में वैश्विक तथा सामुदायिक स्तरों पर पेश आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए अनिवार्य आवश्यकता बन चुकी है। गैर-मुनाफा प्राप्त संगठन – सस्टेनेबल एन्वायरनमेंट एंड इकोलॉजिकल डेवलपमेंट सोसायटी (SEEDS) – सीड्स ने अपनी पहल ‘फ्लिप द नोशन‘ के जरिए जमीनी स्तर के 11 नवोन्मेषकों (इनोवेटर्स) की पहचान कर उन्हें समुदाय प्रेरित फ्रेमवर्क से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पहल के अंतर्गत नवोन्मेष के जरिए जलवायु परिवर्तन से निपटने पर जोर दिया जाएगा।
आयोजन के दौरान, इनोवेटर्स ने उन सामुदायों के स्तर पर अपने इंटरवेंशन एवं आउटरीच प्रोग्रामों को प्रदर्शित किया जो जलवायु परिवर्तन से प्रभावित रहे हैं और साथ ही, भविष्य के मद्देनज़र उनकी तैयारियों एवं उनकी दक्षता बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के सकारात्मक परिणामों की भी जानकारी दी। इन इनोवेटर्स के सफर को दिखाने वाली एक संक्षिप्त फिल्म भी इस मौके पर दिखायी गई जिसके बाद प्रतिष्ठित सामाजिक एवं मानवीय विशेषज्ञों के साथ पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया। पैनल चर्चा में भाग लेने वाले विशेषज्ञों में कमल किशोर, एनडीएमए, भारत सरकार, ताकेशी कोमिनो, महासचिव, सीडब्ल्यूएस जापान, अरुणा पांडेय रिसर्च कंसल्टैंट, लाइटहाउस कम्युनिटीज़ शामिल थे जिन्होंने मजबूत समुदायों, चुनौतियों एवं इनोवेशंस के लिए रूपांतरकारी बदलावों, तनावग्रस्त समुदायों के लिए इनोवेशंस, परस्पर गठबंधन एवं टैक्नोलॉजी आधारित हस्तक्षेपों आदि के बारे में अपने विचारों को साझा किया।
रेज़िलिएंट और समृद्धि की राह पर अग्रसर समुदायों के लिए बदलाव को उत्प्रेरित करने के उद्देश्य से, सीड्स ने इन इनोवटर्स की क्षमताओं को मजबूत बनाने का मिशन चुना है जिसके लिए इन समुदायों से संबद्ध सभी के लिए सस्टेनेबेल भविष्य को प्रतिबिंबित करने वाले मानकों का विकास एवं उनमें सुधार पर ज़ोर दिया जा रहा है।
इस बारे में, डॉ मनु गुप्ता, सह-संस्थापक, सीड्स ने कहा, “हम आपदा और पर्यावरण के मोर्चे पर, विभिन्न भूगोलों में लचीले एवं सस्टेनेबल समुदायों को नेतृत्व की कमान संभालने के लिए तैयार करते हैं। जैसा कि आप जानते हैं, दुनियाभर में पर्यावरण जनित आपदाओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। सीड्स में हमारा मिशन आपदाओं से प्रभावित होने की आशंका वाले समुदायों को अधिक मजबूत बनाने के हिसाब से सुसज्जित करने पर रहता है। हाइपर-लोकल रेजिलिएंस इकोसिस्टम तैयार करने के परिप्रेक्ष्य में हमारा लक्ष्य 2030 तक, भारत में 225 हॉटस्पॉट्स में सेवाएं प्रदान करने का है – और इस तरह हम 315 मिलियन जिंदगियों तक पहुंचेंगे। सीड्स आपदाओं के जीवनचक्रों जैसे कि त्वरित प्रतिक्रिया, राहत, पुनर्वास, और तैयारियों आदि के स्तर पर समुदायों, सरकारों एवं बदलाव लाने वाले एजेंटों के साथ मिलकर काम कर रहा है।”
उन्होंने बताया, “पिछले तीन दशकों के दौरान, सीड्स ने 45 से अधिक आपदाओं में अपना योगदान दिया है और व्यक्तियों की मदद से संचालित कायर्क्रमों के जरिए, 100 से अधिक स्कूलों, 60,000 से ज्यादा घरों तथा करीब 25 स्वास्थ्य सुविधाओं, 110 से ज्यादा सैनिटेशन यूनिटों का निर्माण किया है। इसके अलावा, हम सीड्स गुरुकुल प्रोग्रामों के जरिए एक मिलियन से अधिक लर्नर्स को दक्षता प्रशिक्षण दे चुके हैं, स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर के संगठन लाभ की स्थिति में हैं, जो उन्हें आपदाओं तथा जलवायु परिवर्तन के मद्देनज़र समुदायों के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों को तत्काल पकड़ने में मददगार हैं। स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर के संगठनों की उनके समुदायों के विशिष्ट कमजोर पहलुओं की समझ उन्हें जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में उनके क्षेत्रों की आवश्यकताओं के अनुरूप समाधानों को तैयार करने में मददगार होती है।
इन इनोवेटर्सर् ने कश्मीर, पश्चिम बंगाल, बिहार, तमिलनाडु, ओडिशा, केरल, उत्तराखंड, लद्दाख, राजस्थान, दिल्ली समेत अन्य कई शहरों में अपने कार्यक्रमों को लागू किया है। इनमें उन समुदायों के लिए मुफ्त चिकित्सा उपचार सुविधाएं शामिल हैं जिनकी पहुंच इन तक नहीं हैं, साथ ही, छोटे तालाबों के मालिकों के लिए ट्रेनिंग और मेंटॉरिंग की सुविधाएं देना, मत्स्य कृषि से जुड़ी महिलाओं को बढ़ावा देना और एक लचीली ब्लू इकनॉमी तैयार करना शामिल करना है।
सीड्स इन इनोवेटर्स के साथ मिलकर श्रेष्ठ कार्य प्रथाओं पर काम करेगा और अपनी टीम के जरिए जो कि विभिन्न समुदायों के साथ काम करती हैं और हस्तक्षेप की प्रक्रियाओं का विकास, संचार सामग्री तथा विकास कार्यक्रमों को तैयार करती हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राकृतिक आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटने के मुताबिक तैयार करने में मदद पहुंचाएगी।