करवा चौथ 1 नवंबर 2023 को, जाने पूजन विधि और करवा चौथ के बारे में रोचक जानकारियां
What time will the moon of Karva Chauth rise in 2023? करवा चौथ का चांद कितने बजे निकलेगा 2023?
How is Karva Chauth fast observed for the first time? पहली बार करवा चौथ का व्रत कैसे किया जाता है?
Can we do Karva Chauth puja during periods? क्या हम पीरियड्स के दौरान करवा चौथ पूजा कर सकते हैं?
What can one eat or not during Karva Chauth fast? करवा चौथ के व्रत में क्या खा सकते हैं क्या नहीं?
What time will the moon of Karva Chauth rise in 2023? करवा चौथ का चांद कितने बजे निकलेगा 2023?
What to do with Karwa after puja? पूजा के बाद करवा का क्या करें?
आज हम इन ढेर सारे सवालों के जवाब और करवा चौथ के महत्व को बारे में जानेंगे
धार्मिक डेस्क: करवा चौथ का त्योहार सभी को पता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है ऐसे में हम सभी यह तो जानते हैं कि करवा चौथ को किस महत्व से मनाया जाता है. मगर आज हम आपको इस लेख में इस त्योहार से जुड़ी कुछ रोचक बाते जानने को मिल जाएंगी इसके साथ ही यहां पर आपको सही तारीका भी पता चलेगा।
हिंदू धर्म में करवा चौथ का बहुत खास महत्व माना जाता है. शादीशुदा महिलाओं के लिए यह दिन किसी त्योहार से कम नहीं है. इस दिन के लिए महिलाएं साल भर इंतजार करती हैं और जब करवाचौथ की तिथि नजदीक आने लगती है तो महिलाएं बाजार से खरीददारी खूब करती हैं.
Karwa Chauth 2023 का समय : करवा चौथ 2023 तिथि (Karva Chauth Kab Hai )
क्या आप भी जानना चाहते हैं कि करवा चौथ कब हैं? बता दें कि साल 2023 में करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर, मंगलवार को रात 9.30 बजे से शुरू होगी, जो 1 नवंबर को रात 9.19 बजे समाप्त होगी.
can we drink water in sargi ? क्या सरगी में पानी पी सकते हैं?
जी हां, सरगी में पानी पी सकते हैं. इसके अलावा आप एक गिलास ठंडा नींबू पानी पिएं, जिसमें कुछ ताजा पुदीने की पत्तियां और जमे हुए नींबू के टुकड़े मिलाएं. यह आपके मुंह को Karwa Chauth पर तरोताजा कर देगा और आपकी प्यास को लंबे समय तक दूर रखेगा. ठंडे खीरे के टुकड़े, गाजर के टुकड़े और मूली के टुकड़े के ऊपर अजवाइन डालकर भरी हुई थाली एक बेहतरीन प्यास बुझाने वाला भोजन है.
On which day is Karva Chauth celebrated? करवा चौथ किस दिन मनाया जाता है?
इस उत्सव को हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने में ‘कृष्ण पक्ष’ के रूप में भी जाना जाता है. कोई विशिष्ट तारीख नहीं है, लेकिन Karwa Chauth Date हमेशा अक्टूबर और नवंबर में आती है.
2023 में करवा चौथ की व्रत (Karva Chauth Kab Hai) कब है?
पंचांग के अनुसार, हर साल करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को होता है। इस बार Karva Chauth Date 1 नवंबर है.
Why is Karva Chauth celebrated? करवा चौथ क्यों मनाया जाता है?
करवा चौथ हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक दिव्य त्योहार है, जिसमें वे सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं और अपने पति की गरिमा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं और Karwa Chauth Katha सुनती है. यह त्यौहार ब्रह्मचारी महिलाओं द्वारा भी मनाया जाता है, जो अच्छे जीवन साथी की प्रार्थना करती है.
Karva Chauth Ki Kahani की शुरुआत कैसे हुई?
पौराणिक कथा के मुताबिक ब्रह्मदेव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों अर्थात देवताओं की विजय के लिए प्रार्थना की.
Who first observed the fast of Karva Chauth? करवा चौथ का व्रत सबसे पहले किसने किया?
Karva Chauth 2023 Date के पीछे की सबसे लोकप्रिय कहानी वीरावती नाम की खूबसूरत रानी की है, जो सात प्यारे भाइयों की इकलौती बहन थी.
करवा चौथ व्रत की पूजा विधि (Karwa Chauth 2023 Puja Vidhi)
सुबह सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके पूजा घर की सफाई करें और भगवान की पूजा करके करवा चौथ की निर्जला व्रत का संकल्प लें.
यह व्रत उनको संध्या में सूरज अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए और बीच में जल भी नहीं पीना चाहिए.
संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे (मिट्टी के कलश) रखें.
पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें. दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहना चाहिए, जिससे वह पूरे समय तक जलता रहे.
चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू की जानी चाहिए. अच्छा हो कि परिवार की सभी महिलाएं एक साथ पूजा करें.
पूजा के दौरान करवा चौथ कथा (karva chauth vrat katha) सुनें या सुनाएं.
चन्द्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए.
चन्द्र-दर्शन के बाद बहू अपनी सास को थाली में सजाकर मिष्ठान, फल, मेवे, रूपये आदि देकर उनका आशीर्वाद लें.
करवा चौथ व्रत कर रहीं हैं, तो जान लें ये नियम
करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले से शुरू कर चांद निकलने तक रखना चाहिए और चन्द्रमा के दर्शन के पश्चात ही इसको खोला जाता है.
शाम के समय चंद्रोदय से 1 घंटा पहले सम्पूर्ण शिव-परिवार (शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी और कार्तिकेय जी) की पूजा की जाती है.
पूजन के समय देव-प्रतिमा का मुख पश्चिम की तरफ होना चाहिए तथा स्त्री को पूर्व की तरफ मुख करके बैठना चाहिए.
करवा चौथ में जानें, सरगी का महत्व
करवा चौथ का व्रत सरगी (sargi) के साथ आरम्भ होता है। करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले किया जाने वाला भोजन होता है. जो महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं उनकी सास उनके लिए सरगी (sargi food) बनाती हैं.
शाम को सभी महिलाएं श्रृंगार करके एकत्रित होती हैं और फेरी की रस्म करती हैं. इस रस्म में महिलाएं एक घेरा बनाकर बैठती हैं और पूजा की थाली एक दूसरे को देकर पूरे घेरे में घुमाती हैं.
इस रस्म के दौरान एक बुज़ुर्ग महिला करवा चौथ की कथा गाती हैं. भारत के अन्य प्रदेश जैसे उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गौर माता की पूजा की जाती है। गौर माता की पूजा के लिए प्रतिमा गाय के गोबर से बनाई जाती है.
करवा चौथ व्रत कथा (karva chauth vrat katha)
एक साहूकार के सात बेटे थे और करवा नाम की एक बेटी थी. एक बार करवा चौथ के दिन उनके घर में व्रत रखा गया. रात्रि को जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने उससे भी भोजन करने का आग्रह किया. उसने यह कहकर मना कर दिया कि अभी चांद नहीं निकला है और वह चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी. अपनी सुबह से भूखी-प्यासी बहन की हालत भाइयों से नहीं देखी गयी. सबसे छोटा भाई एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ में प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला व्रत तोड़ लो,चांद निकल आया है. बहन को भाई की चतुराई समझ में नहीं आयी और उसने खाने का निवाला खा लिया. निवाला खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला. शोकाकुल होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही. अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत (karva chauth vrat) किया, जिसके फलस्वरूप उसका पति पुनः जीवित हो गया.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- चौथ का क्या महत्व है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी तिथि पड़ती है जिसे चौथ कहते हैं। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, जिनकी पूजा करने से जातकों के सभी दुख और विघ्नों का नाश होता है. - करवा चौथ का इतिहास क्या है?
जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हो रहा था तब ब्रह्मा जी ने सभी देवताओं की पत्नियों को अपने पति के विजयी होने के लिए व्रत रखने का सुझाव दिया था जिसके बाद से करवा चौथ का व्रत मनाया जाने लगा. - चौथ व्रत कब है 2023?
साल 2023 में करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा. - करवा चौथ के व्रत का क्या महत्व है?
करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाओं के द्वारा अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन में तरक्की के लिए किया जाता है। हालांकि, कई कुंवारी कन्याएँ मनपसंद जीवनसाथी पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं. - करवा चौथ पर क्या दान करें?
करवा चौथ पर सुहाग से जुड़े समान जैसे कि सोलह शृंगार के सामान आदि का दान किया जाता है. - करवा चौथ की रात को पति-पत्नी क्या करते हैं?
करवा चौथ की रात को पत्नी पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य अर्पित करती हैं. इसके बाद पति करवा से पत्नी को पानी पिलाते हैं और फिर कुछ खिलाकर उनका व्रत तोड़ते हैं. - करवा चौथ पर सास को क्या दें?
करवा चौथ पर महिलाएं व्रत खोलने के बाद अपनी सास को करवा (मिट्टी या अन्य धातु से बना एक विशेष बर्तन), मीठे पकवान, कपड़े और सुहाग से जुड़ी वस्तुएं देती हैं जिसे बायना भी कहा जाता है. - करवा चौथ पर सास बहू को क्या देती है?
इस दिन सास अपनी बहुओं को सूर्योदय से पहले सरगी देती हैं। इस सरगी की थाल में मिठाई, मठरी, मेवे, फल, कपड़े, गहने, पूरी व सेवई होती है.
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