यूपी में आवारा कुत्तों का खून निकाल कर बेच रहे मंहगे दामों पर


लखनऊ/बरेली। शहर में खून का कारोबार चल रहा है। सौदागर इंसानों के ख़ून का कारोबार करते-करते जानवरों पर उतर आए। हालात यह बन गए कि ख़ून का काला कारोबार जानवरों को अपनी चपेट में लेकर उनके खून को ऊंचे दामों पर बेचकर अपनी तिजोरी भर रहे हैं।

बरेली में भी ऐसे ही धंधेबाजों का मामला प्रकाश में आया है। जहां सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों को पहले पकड़ा जाता है फिर उनकी नसों से खून को खींचा जाता है। फिर उसको ऊंची कीमतों में बेचा जाता है। मेनका गांधी के हस्तक्षेप के बाद जानवरों के खून के सौदागरों के खिलाफ गुरुवार को कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है। पीपल फॉर एनिमल्स (पीएफए) के धीरज पाठक ने बताया कि कई दिनों से ऐसे गिरोह के बारे में सूचना मिल रही थी कि सड़क पर घूमने वाले कुत्तों का खून निकाल रहे हैं और मोटे दाम पर उसे बेच रहे हैं।

कई लोगों ने पशु प्रेमियों को बताया कि कोतवाली के आलमगीरीगंज घी मंडी निवासी वैभव शर्मा और उसके साथी यह काम कर रहे हैं। इसके बाद कोतवाली पहुंचकर शिकायत की। इससे पहले सांसद मेनका गांधी ने पुलिस अधिकारियों को कॉल करके शिकायत की थी। कोतवाली में दोनों पक्षों के साथ ही नगर निगम की कुत्ता पकडऩे वाली टीम बुलाई गई। यहां तीखी बहस के बाद भी नतीजा नहीं निकला तो वैभव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई।

पीएफए सदस्यों ने आरोप लगाया कि वैभव शर्मा नगर निगम में कुत्तों की नसबंदी करने वाली एक संस्था के साथ काम कर चुका है, इसलिए वैभव आसानी से सड़क पर घूमने वाले कुत्तों को पकड़ लेता है। रसूखदारों को जब उनके कुत्ते के लिए खून की जरूरत पड़ती है तो वह वैभव से संपर्क करते हैं। इसके काम के लिए वैभव पांच से दस हजार रुपये लेता है। इतना ही नहीं बहस के दौरान आरोपी ने इस बात को स्वीकार भी किया।

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