Animal Movie Review : वॉयलेंस और ढेर सारे खून-खराबे से अधिक कुछ नहीं इस फिल्म में
मुंबई : ‘कबीर सिंह’ और ‘अर्जुन रेड्डी’ की सफलता के बाद निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा का ‘अल्फा मेल को महिमामंडित’ करने वाला फॉर्म्यूला पूरे देश में सुपरहिट हो गया. ऐसे में संदीप फिर से इसी ‘मर्दों की दुनिया’ वाले अंदाज में अब रणबीर कपूर को लेकर आए हैं, बहुत ज्यादा वॉयलेंस और ढेर सारे खून-खराबे के साथ. ‘कबीर सिंह’ जहां अपनी प्रीति के लिए दीवाना था, वहीं अब ‘एनीमल’ में एक बेटा अपने पिता के लिए दीवाना है. अब इस दीवानेपन में हमारी फिल्म का हीरो कुछ भी कर सकता है और संदीप इसी एक्सट्रीम सिनेमा को पर्दे पर दिखाते हैं. फिल्म के ट्रेलर के बाद इस फिल्म को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है और ये एक्साइटमेंट इस फिल्म की पहले दिन की एडवांस बुकिंग से साफ पता चलता है. जितना एक्साइटमेंट लोगों में इस फिल्म को लेकर है, क्या संदीप रेड्डी वांगा साढ़े तीन घंटे की इस फिल्म में उतनी ही मजेदार कहानी लेकर आए हैं? आइए आपको बताते हैं.
अपने पापा का दीवाना रनविजय
जैसा की ट्रेलर से ही साफ है कि ये कहानी रनविजय बलवीर सिंह (रणबीर कपूर) के अपने पिता बलवीर सिंह (अनिल कपूर) के लिए दीवानेपन की कहानी है. बलवीर सिंह दिल्ली का एक बहुत ही बड़ा बिजनेस टाइकून है, जिसकी स्टील की फैक्ट्री है, स्वास्तिक स्टील. बलवीर सिंह इतना बड़ा बिजनेसमैन है कि उसके अपने खुद के प्राइवेट लैंड, प्राइवेट होटल, घर, बंगले सब कुछ है. इसी बलवीर सिंह के तीन बच्चे हैं 2 बहने और एक बेटा रनविजय सिंह. जो अमेरिका में रहता है, उसे अचानक पता चलता है कि उसके पिता पर किसी ने गोली चलाई है, जिसके बाद वह अपना परिवार लेकर वापस अपने पिता के पास आ जाता है और फिर ढूंढने निकलता है अपने पिता पर हमला करने वाले इस हमलावर को. इसी बदले की कहानी है यह फिल्म.
अल्फा मर्दों पर की गई कहानी
फिल्म का फर्स्ट हाफ ये बताने में लगा है कि रणबीर अपने पिता को लेकर किस हद तक दीवाने हैं. इसके साथ ही शुरुआत में ही रणबीर और रश्मिका की लव स्टोरी को दिखा दिया गया है, हालांकि इसमें ज्यादा समय बर्बाद नहीं किया गया है. इसी लव स्टोरी के दौरान रणबीर ये भी एक्सप्लेन कर देते हैं कि कैसे औरतों को सदियों से बस अल्फा मर्द ही पसंद आते हैं क्योंकि वो स्ट्रॉन्ग होते हैं. अब इस तरह के विचारों पर अलग से बात की जा सकती है, पर अभी हम इस फिल्म के वैचारिक पक्ष पर नहीं, सिर्फ क्राफ्ट पर ही बात करते हैं (क्योंकि उस स्तर पर ये फिल्म काफी प्रॉब्लमेटिक है). फिल्म के फर्स्ट हाफ में कई ऐसे सीन हैं जो काफी मजेदार हैं. खासकर एक्शनसीन्स को बड़ी खूबसूरती से डिजाइन किया गया है.
अनिल कपूर एक बहुत बड़े बिजनेस टायकून दिखाए गए हैं.
सेकंड हाफ में अक्सर फिल्मों की ढीली कहानी से भी फास्ट पेस हो जाने की उम्मीद की जाती है, लेकिन ‘एनीमल’ का सेंकड हाफ भी आपके धैर्य की पूरी परीक्षा लेता है. सीन-सीन जोड़कर फिल्म बनती है, लेकिन सिर्फ सीन-सीन जोड़कर ही फिल्म नहीं बनती. इन सीन्स के बीच एक कहानी बहती है, जो दर्शकों को बांधे रखती है. लेकिन ‘एनीमल’ इसी जोड़ में पीछे रह गई है. ट्रेलर में ही आपको पता है कि अनिल कपूर को गोली लगने वाली है. ऐसे में उम्मीद की जाती है कि फिल्म में पता चलेगा कि आखिर ये किसने किया और क्यों…? अब इन 2 सवालों का जवाब देने के लिए 3 घंटा 21 मिनट बहुत लंबा समय है. फिल्म इतनी लंबी है कि थकावट होने लगती है.
सेकंड हाफ में एक्ट्रेस त्रिपती डीमरी का पूरा सीक्वेंस इतना अजीब और बोरिंग लगता है कि उसकी कहानी में कोई जरूरत ही नहीं लगती. रणबीर कपूर का जो दुश्मन उसके बचपन से लेकर अमेरिका तक की सारी जानकारी निकाल लेता है, वह यह नहीं पता कर पाता कि रणबीर उसे मारने स्कॉटलेंड आ रहा है… और हां, संदीप रेड्डी वांगा की रची इस पूरी दुनिया में न तो पुलिस है और न प्रशासन, तो लॉजिक कहीं भी कहानी में होगा तो भूल जाइए.
इस फिल्म की 2 दमदार चीजे हैं, पहली बीजीएम (बैकग्राउंड म्यूजिक) जो साउथ सिनेमा की जान है. और दूसरी फिल्म का गजब का एक्शन. दोनों ही डिपार्टमेंट्स ने फिल्म में बढ़िया काम किया है. बीजीएम तो इतना शानदार है कि फिल्म के कई नॉर्मल से सीन भी जबरदस्त बन पड़े हैं. जैसे रणबीर कपूर जब पंजाब से अपने भाइयों को लेकर अपने पिता के सामने पहुंचता है. इस सीन को बीजीएम ने अलग लेवल पर पहुंचा दिया है. वहीं एक्शन की बात करें तो इस फिल्म में ‘वॉयलेंस’ रणबीर कपूर से ज्यादा नजर आ रहा है. इंटरवेल से पहले एक अच्छा-खासा लंबा एक्शन सीक्वेस है, जिसमें हेलमेट लगाए लोग वीडियो गेम के टारगेट की तरह बस मरते जा रहे हैं.
एक्टिंग की बात करें तो रणबीर कपूर Director’s Actor हैं, जो अपने किरदार को पर्दे पर दिखाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. इस फिल्म में भी रणबीर ने सबकुछ किया है. निर्देशक संदीप के रचे गए इस ‘मानसिक तौर पर बीमार किरदार’ को जस्टिफाई करने के लिए रणबीर पर्दे पर नंगे तक हो गए हैं. रणबीर ने इस फिल्म में भी अपने जी-जान लगा दी है. लेकिन इतने बढ़िया एक्टर को और 100 करोड़ के बजट को इतनी कमजोर कहानी में बर्बाद करना, इस पाप का प्राश्चित को निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा को करना ही होगा. रश्मिका हों या फिल्म की बाकी महिला किरदार, बस मर्दों की इस दुनिया में उनकी ऊंची आवाज सुनने और उनकी इच्छाओं की पूर्ती करने के लिए है. हालांकि रश्मिका ने कुछ सीन्स में रणबीर को थप्पड़ मारे हैं और यही एक किरदार है जो कुछ हद तक अपनी बात कह पाता है. लेकिन इस पर भी एक सीन में रणबीर पछतावा करते नजर आते हैं कि ‘शादी में पत्नि को कंट्रोल रखना चाहिए वरना हाथ से निकल जाती हैं’.
रश्मिका मंदाना इस फिल्म में रणबीर की पत्नी के किरदार में नजर आ रही हैं.
बॉबी देओल जितने ट्रेलर में हैं, उसी अनुपात में आपको फिल्म में भी नजर आएंगे. हालांकि वो अपने इन 2-3 सीन्स में भी मारक लगे हैं. ‘एनीमल’ मर्दों की दुनिया के नाम पर एक मानसिक तौर पर बीमार पुरुष की कहानी पर्दे पर दिखाती है, जिसने इलाज के बजाए बंदूकों को हाथ में उठा लिया. हमारी ओर से इस फिल्म को केवल दो स्टॉर दिये जाते हैं.