अयोध्या, एनआईए संवाददाता। गुलाबबाड़ी को वक्फ संपत्ति न माने जाने पर वक्फ गुलाबबाड़ी कमेटी ने नाराजगी जताई है। कमेटी के अध्यक्ष जेडआर शानदार रिजवी और सचिव ताबिश मेहंदी ने इसे ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं के साथ अन्याय बताया है। कमेटी का दावा है कि गुलाबबाड़ी को जनवरी 1949 में तत्कालीन जिलाधिकारी केके नैय्यर ने शिया वक्फ में दर्ज कराया था। इसका वक्फ नंबर 853 है।
कमेटी ने क्या कहा?
गुलाबबाड़ी की जमीन ऐतिहासिक शिया वक्फ संपत्ति है।
वक्फ नंबर 853 में शामिल स्थान
सराय पुख्ता
अफीम की कोठी
नवाब शुजाउद्दौला की अदालत
एकदरा, तिनदरा
यह संपत्ति धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है, इसे संरक्षित किया जाना चाहिए।
क्या है वर्तमान विवाद?
वक्फ कमेटी का आरोप है कि सरकार इस वक्फ संपत्ति पर दो बड़े निर्माण प्रोजेक्ट शुरू कर रही है:
सीतापुर आंख अस्पताल परिसर में 300 बेड का सरकारी अस्पताल।
सराय पुख्ता चौक (सब्जी मंडी) में मल्टीस्टोरी बिजनेस कॉम्प्लेक्स।
कमेटी का कहना है कि बिना अनुमति व कानूनी प्रक्रिया के इन परिसरों का निर्माण किया जा रहा है।
यह वक्फ संपत्ति है, और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए।
जेडआर शानदार रिजवी, अध्यक्ष, वक्फ गुलाबबाड़ी कमेटी
प्रशासन की चुप्पी
इस मामले में अभी तक स्थानीय प्रशासन या राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। कमेटी ने संकेत दिया है कि वे कानूनी विकल्प तलाशने की तैयारी कर रहे हैं।
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गुलाबबाड़ी का ऐतिहासिक महत्व
गुलाबबाड़ी, अयोध्या (पूर्व में फैज़ाबाद) की एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे 18वीं सदी में अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने बनवाया था। यह स्थान न सिर्फ स्थापत्य और उद्यान कला का प्रतीक है, बल्कि धार्मिक और राजनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विशेषताएं
यह परिसर नवाब शुजाउद्दौला का मकबरा (मजार) है।
इसका निर्माण 1760 के आसपास कराया गया।
इस परिसर में एक भव्य बाग-बग़ीचा (Garden Complex) है, जो मुगल शैली की वास्तुकला से प्रेरित है।
यहां कई ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं, जैसे:
नवाब की अदालत
सराय पुख्ता
अफीम की कोठी
दरगाह परिसर
गुलाबबाड़ी कभी शाही महफिलों और धार्मिक जलसों का प्रमुख केंद्र रहा करता था।
धार्मिक और वक्फ संदर्भ
गुलाबबाड़ी को शिया मुस्लिम समुदाय विशेष रूप से पवित्र मानता है।
इसे शिया वक्फ संपत्ति के रूप में वर्षों से मान्यता प्राप्त रही है, जिसका दावा वक्फ कमेटी कर रही है।
संरक्षित धरोहर
हालांकि यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीन नहीं है, फिर भी इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए स्थानीय लोग व शिया समाज इसे संरक्षित क्षेत्र मानते हैं। इसके परिसर में पुरानी संरचनाएं आज भी मौजूद हैं जो अवध काल की संस्कृति की झलक देती हैं।
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