हर व्यक्ति अपने जीवन का नायक बनना चाहता है, पर कुछ लोगों में यह गुण जन्मजात होता है। ऐसे ही लोग होते हैं सिंह लग्न वाले, जिनके व्यक्तित्व में सूर्य की रोशनी, आत्मविश्वास और नेतृत्व का तेज झलकता है। इनकी कुंडली का पहला घर अगर नंबर पांच लिखा तो यह इनकी सिंह राशि हुई जिसके स्वामी सूर्य हैं। अर्थात जीवन का केंद्र स्वयं होता है। यह बातें अयोध्या वाले आचार्य जी ने कहीं।
व्यक्तित्व: आत्मबल और आकर्षण का सम्मिश्रण
उन्होंने आगे बताया कि सिंह लग्न के जातक जब किसी स्थान पर प्रवेश करते हैं, तो वहाँ का वातावरण बदल जाता है। उनके व्यक्तित्व में ऐसा आत्मविश्वास और चुंबकत्व होता है जो लोगों को सहज ही प्रभावित करता है। वे निर्णय लेने में तेज, और अपनी बात मनवाने में दृढ़ होते हैं। हालाँकि यही दृढ़ता कभी-कभी जिद या अहंकार के रूप में भी देखी जाती है। ऐसे लोग अपनी मर्यादा और स्वाभिमान पर कभी समझौता नहीं करते। वे चाहते हैं कि उनके काम को मान्यता मिले, उनके प्रयासों को सम्मान मिले।

स्वभाव: भावनाओं में आग और आत्मसम्मान का ताप
अयोध्या वाले आचार्य जी आगे बताते हैं कि सिंह लग्न वालों के लिए जीवन केवल दिनचर्या नहीं, बल्कि एक मंच है, जहाँ वे हर भूमिका पूरे समर्पण के साथ निभाना चाहते हैं। उनका आत्मसम्मान उनकी सबसे बड़ी ताकत भी है और सबसे नाजुक कमजोरी भी। जो उन्हें प्रशंसा देता है, वह उनका प्रिय बन जाता है, जो उनकी उपेक्षा करता है, वह उनके जीवन से स्वतः बाहर हो जाता है। वे कभी हार नहीं मानते, परंतु हारने पर उसे सहज स्वीकार भी नहीं कर पाते। यही कारण है कि इनका जीवन संघर्षों से भरा होने के बावजूद अंततः विजय की ओर बढ़ता है।
करियर: जहां नेतृत्व आवश्यक हो, वहां सफलता निश्चित है
अयोध्या वाले आचार्य जी का कहना है कि सिंह लग्न वाले व्यक्ति को वह कार्य पसंद आता है जहाँ वे नेतृत्व कर सकें, दिशा दे सकें और अपनी पहचान बना सकें। सरकारी सेवा, प्रशासनिक क्षेत्र, राजनीति, शिक्षण, मीडिया, कला या सेना, ऐसे हर क्षेत्र में ये लोग अपनी छाप छोड़ते हैं। सूर्य की कृपा इन पर तब और बढ़ जाती है जब वे अपने स्वभाव में विनम्रता जोड़ लेते हैं क्योंकि सूर्य का प्रकाश तभी मंगलकारी होता है, जब वह दूसरों को भी प्रकाशित करे।
धन और प्रतिष्ठा: वैभव का आकर्षण, पर संतुलन आवश्यक
अयोध्या वाले आचार्य जी के अनुसार इन लोगों को भव्यता पसंद होती है, चाहे वह जीवनशैली हो, घर हो या वस्त्र। वे दिखावे के लिए नहीं, बल्कि आत्मसम्मान के प्रतीक के रूप में वैभव जीना चाहते हैं। आर्थिक दृष्टि से उतार-चढ़ाव आते हैं, परंतु इनकी परिश्रम और आत्मविश्वास से अंततः स्थिरता प्राप्त होती है। धन इनके पास रुकता है, यदि ये भावनाओं में बहकर खर्च न करें।
संबंध और परिवार: अधिकार भाव के साथ निष्ठा का संतुलन
सिंह लग्न वालों के लिए प्रेम केवल भावना नहीं, बल्कि सम्मान का विस्तार है। वे अपने साथी के प्रति निष्ठावान रहते हैं, परंतु कभी-कभी उनके “मैं” का भाव संबंधों में दूरी ला सकता है। इनके जीवन में सच्चा संतुलन तब आता है जब वे प्रेम को साझेदारी की तरह जीना सीखते हैं, न कि “राज्य” की तरह।
आध्यात्मिक दृष्टि: अहंकार से आत्म-प्रकाश की यात्रा
सिंह लग्न का अर्थ है, “सूर्य स्वयं लग्न में विराजमान। अर्थात व्यक्ति का जीवन उस आत्म-प्रकाश की खोज है, जहाँ वह यह समझ सके कि
“राजा वही है, जो दूसरों के लिए भी प्रकाश बने। जब ये जातक अपनी शक्ति को दूसरों की भलाई में लगाते हैं, तो वही तेज जो कभी अहंकार था, अब प्रेरणा बन जाता है।
अयोध्या वाले आचार्य जी बताते हैं कि सिंह लग्न के लोग जन्म से ही नेतृत्व के लिए बने हैं। उनका आत्मविश्वास, उनका तेज, और उनकी दृढ़ता उन्हें भीड़ से अलग करती है। परंतु इस तेज को उजाला बनाए रखना है तो विनम्रता, संयम और संवेदना को साथ रखना आवश्यक है, क्योंकि अंततः जीवन का असली प्रकाश वही है, जो दूसरों को भी रोशनी दे।




