महाराष्ट्र की राजनीति में बिखरते दलों, घटती राजनीतिक पकड़ और अलग-थलग पड़ने के संकट से जूझ रहे ठाकरे बंधु आखिरकार एक मंच पर आ गए हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने आगामी महानगर पालिका चुनाव एक साथ लड़ने का फैसला किया है। इस राजनीतिक एकजुटता से राज्य के सियासी समीकरण बदल सकते हैं, हालांकि इसकी वास्तविक ताकत चुनाव नतीजों के बाद ही साफ हो पाएगी।
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हालांकि इस गठबंधन में कांग्रेस के शामिल न होने से इसकी प्रभावशीलता को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी फिलहाल इस घटनाक्रम से ज्यादा चिंतित नजर नहीं आ रही, लेकिन यदि यह एकजुटता लंबे समय तक बनी रही तो भाजपा को भी अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है।
मुंबई से होगा शक्ति परीक्षण
मुंबई समेत महाराष्ट्र की तमाम महानगर पालिकाओं के चुनावों के लिए शिवसेना (यूबीटी) और मनसे का साथ आना राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है। इस मौके पर सिर्फ राजनीतिक दल ही नहीं, बल्कि ठाकरे परिवार भी एक मंच पर नजर आया। उद्धव और राज ठाकरे के साथ उनकी पत्नियां और बेटे भी मौजूद रहे, जिसे बाल ठाकरे की विरासत को बचाने की कोशिश और पारिवारिक दूरियों के खत्म होने का संकेत माना जा रहा है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के बिना यह गठबंधन कितना मजबूत साबित होगा, इस पर अभी संशय बना हुआ है।
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भाजपा आश्वस्त, लेकिन सतर्क
भाजपा अपने मौजूदा गठबंधन को लेकर फिलहाल आश्वस्त दिखाई दे रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भाजपा अपने मजबूत संगठन और सहयोगियों—शिवसेना और एनसीपी—के साथ सहज स्थिति में है। हालांकि ठाकरे बंधुओं की इस नई एकजुटता पर भविष्य के लिहाज से पैनी नजर रखी जा रही है।
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बीएमसी चुनाव होगा सबसे बड़ा इम्तहान
ठाकरे बंधुओं की इस राजनीतिक एकजुटता की असली परीक्षा बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) चुनाव में होगी। दोनों दलों की कोशिश है कि कम से कम मुंबई में अपना सियासी दबदबा बरकरार रखा जाए। उल्लेखनीय है कि बाल ठाकरे के जीवनकाल में ही उद्धव और राज ठाकरे के रास्ते अलग हो गए थे। जहां विरासत उद्धव के पास रही, वहीं राज ठाकरे धीरे-धीरे राजनीतिक हाशिये पर चले गए। बाद में भाजपा से अलग होने के बाद उद्धव ठाकरे की राजनीतिक स्थिति भी कमजोर होती चली गई, जिससे यह नई एकजुटता उनके लिए राजनीतिक संजीवनी मानी जा रही है।
भाजपा का तंज: हार के डर से साथ आए
भाजपा ने ठाकरे बंधुओं के इस गठबंधन पर तीखा हमला बोला है। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि आगामी बीएमसी चुनावों में हार के डर से दो परिवारवादी दल एकजुट हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि मुंबई की जनता विकास के नाम पर भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को ही चुनेगी। भंडारी ने कहा कि बीएमसी चुनाव में जमानत जब्त होने के डर से यह गठबंधन बनाया गया है। साथ ही उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने राज्य को कट्टरपंथियों के हवाले कर दिया है।
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