अब हाइड्रोजन से चलेगी यूपी की रफ्तार! योगी सरकार का बड़ा फैसला, IIT कानपुर और BHU में खुलेंगे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

लखनऊ, NIA संवाददाता।

उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (COE) स्थापित करने को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन अनुसंधान, तकनीकी विकास, मानव संसाधन सशक्तिकरण और औद्योगिक उपयोग को बढ़ावा देना है।

IIT कानपुर और IIT BHU को सौंपी गई जिम्मेदारी

सरकारी निर्णय के अनुसार, पहला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर द्वारा हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय (HBTU), कानपुर के सहयोग से स्थापित किया जाएगा।
दूसरा सेंटर IIT BHU, वाराणसी द्वारा मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT), गोरखपुर के साथ संयुक्त रूप से संचालित होगा। दोनों सेंटर अपने-अपने साझेदार संस्थानों के परिसरों से संचालित किए जाएंगे।

हब-एंड-स्पोक मॉडल पर होगा संचालन

उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (UPNEDA) के एमडी एवं निदेशक इंद्रजीत सिंह ने बताया कि ये सेंटर हब-एंड-स्पोक मॉडल पर कार्य करेंगे। इसके तहत प्रदेश के अन्य इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों को भी इससे जोड़ा जाएगा।सेंटर में बायोमास आधारित और इलेक्ट्रोलाइज़र आधारित ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और तकनीकी विकास पर अनुसंधान किया जाएगा।

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स्टार्टअप्स के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना

राज्य की ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2024 के अंतर्गत इन सेंटरों में इन्क्यूबेशन सेंटर भी स्थापित किया जाएगा।

हर वर्ष 10 स्टार्टअप्स को सहायता

5 वर्षों में कम से कम 50 स्टार्टअप्स को समर्थन

इसके लिए ₹25 लाख प्रतिवर्ष (5 वर्षों तक) की वित्तीय सहायता

साथ ही सेंटर इंजीनियरिंग कॉलेजों और पॉलीटेक्निक संस्थानों के लिए पाठ्यक्रम निर्माण, मेंटरिंग, तकनीकी प्रदर्शनियां और कॉन्फ्रेंस आयोजित करने में सहयोग करेगा।

ग्रीन हाइड्रोजन ट्रेन और बसों पर भी काम

हरित परिवहन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार

रेल मंत्रालय के सहयोग से ग्रीन हाइड्रोजन आधारित ट्रेन,

तथा UPSRTC के माध्यम से कानपुर–लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर रूट पर ग्रीन हाइड्रोजन बसें
चलाने की दिशा में प्रयास करेगी।

यूपी को मिलेगा औद्योगिक और रोजगार लाभ

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में कम से कम 50 प्रतिशत औद्योगिक भागीदारी उत्तर प्रदेश से होगी। इससे राज्य में निवेश बढ़ेगा और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। विशेषज्ञों के अनुसार यह पहल कार्बन उत्सर्जन घटाने और उत्तर प्रदेश को ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन हब के रूप में स्थापित करने में सहायक होगी।

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