ताइवान के आसपास चीन ने फाइटर जेट, ड्रोन और मिसाइलों के साथ बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है। यह अभ्यास मंगलवार को लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा। भले ही बीजिंग इसे नियमित सैन्य कवायद बता रहा हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे ताइवान पर संभावित हमले की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। चीन ने साफ कहा है कि यह अभ्यास अलगाववादी ताकतों और बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ कड़ा संदेश है।
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दो दिनों तक चलने वाले इस सैन्य अभ्यास को ‘जस्टिस मिशन 2025’ नाम दिया गया है। चीन की इस कार्रवाई के बाद ताइवान ने अपनी सेना को अलर्ट पर रखते हुए बीजिंग को शांति का सबसे बड़ा दुश्मन करार दिया है।
अमेरिकी हथियार सौदे से भड़का चीन
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सैन्य अभ्यास ताइवान को अब तक की सबसे बड़ी अमेरिकी हथियार बिक्री के खिलाफ चीन के आक्रोश का नतीजा है। इसके अलावा जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची के उस बयान ने भी तनाव बढ़ाया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन के ताइवान पर हमला करने की स्थिति में जापान की सेना हस्तक्षेप कर सकती है।
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चीन लगातार यह दोहराता रहा है कि ताइवान को उसके शासन के अधीन आना ही होगा। हालांकि चीनी सेना के बयान में अमेरिका और जापान का नाम नहीं लिया गया, लेकिन विदेश मंत्रालय ने ताइवान की सत्तारूढ़ पार्टी पर अमेरिका से समर्थन लेकर स्वतंत्रता हासिल करने की कोशिश का आरोप लगाया।
रक्षा मंत्रालय का सख्त संदेश
मंगलवार सुबह सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने चीन के रक्षा मंत्रालय के अधिकारी झांग शियाओगांग के हवाले से कहा कि चीन को चुनौती देने की किसी भी कोशिश का अंजाम असफलता ही होगा। उन्होंने कहा,
“हम संबंधित देशों से आग्रह करते हैं कि वे ताइवान का इस्तेमाल चीन को नियंत्रित करने के लिए करने का भ्रम त्याग दें।”
अमेरिका की चेतावनी
इस बीच, अमेरिकी सीनेटर रोजर विकर ने चेतावनी देते हुए कहा कि चीन ताइवान पर हमले की तैयारी तेज कर रहा है। उनके मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की यह कवायद ताइवान की नाकाबंदी की क्षमता दिखाने और ताइपे पर दबाव बनाने के लिए है। उन्होंने अमेरिका से ताइवान की मदद के लिए हथियार उत्पादन बढ़ाने और सैन्य सहायता तेज करने की मांग की है।
चीन-ताइवान के बीच बढ़ते इस तनाव ने पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की चिंता बढ़ा दी है।
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