पीरामल फाउंडेशन ने सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका की एमोरी यूनिवर्सिटी के साथ की साझेदारी
धर्मशाला। पीरामल फाउंडेशन ने हिमाचल प्रदेश में सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक शिक्षण (एसईईएल) कार्यक्रम शुरू करने के लिए राज्य सरकार के साथ एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किया है। पीरामल फाउंडेशन ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के दलाईलामा पुस्तकालय एवं अभिलेखागार में एक एसईई लर्निंग लॉन्च एवं प्रमाणन कार्यक्रम का आयोजन किया। यह पहल, शिक्षा में धर्मनिरपेक्ष नैतिकता और मानवीय मूल्यों को एकीकृत करने के परम पावन दलाई लामा के दृष्टिकोण से पैदा हुई है।
अमेरिका की एमोरी यूनिवर्सिटी में सेंटर ऑफ कंटेम्पलेटिव साइंस एंड कम्पैशन-बेस्ड एथिक्स द्वारा विकसित एसईई लर्निंग, शिक्षकों और हितधारकों के लिए एक व्यापक पाठ्यक्रम और संसाधन पैकेज है। इसका मुख्य लक्ष्य दुनिया भर में के-12 कक्षाओं में सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक साक्षरता को बढ़ावा देना है। एसईई लर्निंग के क्रियान्वयन ने शिक्षा परितंत्र को बदल दिया है, जिससे जिला, ब्लॉक, पंचायत स्तर से लेकर मास्टर फैसिलिटेटर, छात्र और सामुदायिक स्वयंसेवक तक पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह करुणा भरे वातावरण का निर्माण करता है, फैसिलिटेटर को सशक्त बनाता है, छात्रों को समग्र कौशल से लैस करता है और सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देता है।
इस प्रोग्राम में पीरामल फाउंडेशन की ओर से एसईई लर्निंग की कहानियों, “भावनाओं की कहानियों” का प्रस्तुतीकरण किया गया। इसने 6 राज्यों (जम्मू कश्मीर और लद्दाख, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडि़शा, महाराष्ट्र और राजस्थान) में एसईई लर्निंग कार्यक्रमों की सफलता पर प्रकाश डाला, जो दिल और दिमाग दोनों पर समग्र शिक्षा के परिवर्तनकारी प्रभाव को दर्शाता है। पिछले कुछ वर्षों में, पीरामल फाउंडेशन ने पूरे भारत में 100,000 से अधिक स्कूलों को प्रभावित किया है।
परम पावन दलाई लामा ने कहा, “इस काम को करने के पीछे जो प्रेरणा है, वह मेरे इस दृढ़ विश्वास को दर्शाती है कि जब हम सभी नैतिकता के महत्व को सराहते हैं और करुणा तथा धैर्य जैसे आंतरिक मूल्यों को अपने जीवन के बुनियादी दृष्टिकोण का अभिन्न अंग बनाते हैं तो इसके दूरगामी प्रभाव होते हैं। मुझे उस दिन की प्रतीक्षा है, जब बच्चे, स्कूल में अहिंसा और शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान के सिद्धांतों के परिणामस्वरूप, अपनी भावनाओं के प्रति अधिक जागरूक होंगे और अपने तथा दुनिया के प्रति और व्यापक रूप से जिम्मेदारी की भावना और गहराई से महसूस करेंगे। “
पीरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड के चेयरमैन, अजय पीरामल ने कहा, “सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक शिक्षा (एसईई लर्निंग) को अपनाना सिर्फ एक शैक्षणिक विकल्प ही नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक अनिवार्यता है। समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध संगठनों को अपने कार्यक्रमों में सहानुभूति, लचीलापन और नैतिक निर्णय लेने को बढ़ावा देते हुए एसईई लर्निंग को शामिल करना चाहिए। पीरामल फाउंडेशन एसईई लर्निंग के ज़रिये, भारत में करुणा आधारित पठन-पाठन वाली स्कूल शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं समग्र विकास हासिल करने के लिए शिक्षा के साथ सामाजिक नैतिकता के संयोजन के परम पावन दलाई लामा के दृष्टिकोण से दृढ़ता से सहमत हूं।”
एसईई लर्निंग कार्यक्रम को अप्रैल 2018 में वैश्विक स्तर पर लॉन्च किया गया था, जिसके तहत पीरामल फाउंडेशन और एमोरी यूनिवर्सिटी ने करुणा और लचीलेपन पर केंद्रित पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए साझेदारी की थी। यह पहल, भारत में ऐसी शिक्षा की तत्काल आवश्यकता को पूरा करती है, जो किशोरों मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों और छात्रों के बीच आत्महत्याओं की उच्च दर पर रोशनी डालती है।