सीमा पार से जम्मू पहुंचे 30-40 आतंकवादी, जहन्नुम में भेजने की सेना ने की तैयारी
आंतकवादियों ने बदला ठिकाना, सात महीने में मारे गए 33 आतंकवादी
नई दिल्ली। जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े पाकिस्तान के 30-40 लोगों का एक समूह जम्मू में घुसपैठ कर चुका है। ये कठुआ, डोडा, उधमपुर, किश्तवाड़ और सांबा के जंगलों में छिपे हुए हैं। जम्मू क्षेत्र पाकिस्तान के साथ 485 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, जो घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों से घिरा हुआ है। यही कारण है कि यहां आतंकियों को खोजना एक मुश्किल काम है। हालांकि सेना ने एसओजी कैंप स्थापित करने के लिए रणनीतिक बिंदुओं की पहचान कर ली है।
इन चौकियों पर स्थानीय पुलिस, सीआरपीएफ और सेना के जवानों को तैनात किया जाएगा। उपरोक्त जानकारी इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक ग्राम रक्षा समितियों (वीडीसी) के सदस्यों को अर्ध-स्वचालित एसएलआर जैसे हथियारों का उपयोग करने के लिए नियमित प्रशिक्षण फिर से शुरू करने का भी निर्णय लिया गया है। आतंकवादी पाकिस्तान में अपने आकाओं से संपर्क करने के लिए ग्रामीणों के व्यक्तिगत हॉटस्पॉट कनेक्शन का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए ग्रामीणों के बीच जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि वे अपने इंटरनेट हॉटस्पॉट या वाईफाई पासवर्ड को किसी अजनबी के साथ साझा न करें। यदि वे ऐसा करते हैं तो दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। एक अन्य अहम कदम में केंद्र ने जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने के लिए ओडिशा से दो बीएसएफ बटालियनों को हटाने का भी आदेश दिया है, जिनमें 2,000 से अधिक कर्मी शामिल हैं। विशेष रूप से सुरंगों के आसपास तैनाती को मजबूत करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। इन दोनों इकाइयों की टुकडिय़ों को सांबा और जम्मू-पंजाब सीमा के पास तैनात किया जा सकता है।
यहां बता दें कि बीते कुछ सालों में जम्मू में आतंकी मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। इस साल के शुरुआती सात महीनों में जम्मू कश्मीर में कुल 33 आतंकी मारे गए हैं। इस साल जो 33 आतंकी मारे गए उनमें से 23 को जून और जुलाई में ही ढेर किया गया है। बढ़ते मामलों को देखते हुए साफ है कि आतंकियों का फोकस अब कश्मीर घाटी से हटकर जम्मू में आ गया है। इसीलिए सेना और सरकार भी इसे कुचलने के लिए गंभीर हैं। आतंक को कुचलने के लिए वन क्षेत्रों में विशेष संचालन समूह (एसओजी) के कर्मियों के साथ 75 से अधिक शिविर बनाए गए हैं। ग्राम रक्षा समितियों (वीडीसी) के लिए पारंपरिक और अर्ध-स्वचालित हथियारों का नियमित प्रशिक्षण देने की तैयारी है। सुरंगों पर विशेष ध्यान देने के साथ सीमा पर बीएसएफ कर्मियों की तैनाती बढ़ा दी गई है। मौजूदा हालात को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और सेना और सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई बैठकें की हैं।